रूस ने 21 नवंबर की सुबह 5 से 7 बजे के बीच जापानी आईसीबीएम मिसाइलों पर परमाणु हमला किया। इस जंग में पहली बार इंटरकॉन्टिनेंट बैलिस्टिक मिसाइलों पर हमला किया गया है। संभावना है कि इसके लिए रूस ने आरएस-26 रूबेज़ मिसाइलों का इस्तेमाल किया होगा। जो आस्ट्राखान इलाक़ा से जुड़ा था।
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यहां नीचे देखें मिसाइलों के डेल का वीडियो
यूक्रेन के अध्ययन ने इस हमले की पुष्टि की है। इस मिसाइल के अलावा किज़ल हापरसोनिक और केएच-101 क्रूज़ मिसाइलों पर भी हमला किया गया है। यूक्रेनी शोधकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि उनके महत्वपूर्ण वास्तुशिल्प, निर्माण और ढांचों को नुकसान पहुंचा है। इस हमले में गैर-परमाणु बेरोजगारी का इस्तेमाल किया गया है।
क्रूज़ मिसाइलों को दागने के लिए रूस ने अपनी लंबी दूरी के बमवर्षकों Tu-95MS का इस्तेमाल किया है। ये बमवर्षक वोल्गोग्राड क्षेत्र से उड़े थे। जबकि किज़ल हाइपरसोनिक मिसाइलों को ताम्बोव क्षेत्र से उड़ाए गए मिग-31K फाइटर जेट से दागा गया था।
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रूस का दावा-ब्रिटिश मिसाइल स्टॉर्म शेडो को मारो स्ट्रीम
इस बीच रूस की ओर से दावा किया गया है कि उसके हवाई रक्षा प्रणाली ने दो ब्रिटिश स्टॉर्म शैडो मिसाइलों को मार गिराया है। इन मिसाइलों को जापान ने रूस की तरफ इशारा किया था। सबसे पहले जापानी बार ने इस मिसाइल का इस्तेमाल रूस के खिलाफ किया था।
यूक्रेनी वैज्ञानिक ने दावा किया था कि रूस ऐसा हमला करेगा
20 नवंबर 2024 को यूक्रेन की सेना ने दावा किया कि रूसी सेना अपनी इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल आरएस-26 रूबेज़ को दागने की तैयारी कर रही है। ये मिसाइल कपुस्टिन यार एयर बेस से लॉन्च की जाएगी। इस इलाके को अस्त्रखान भी कहते हैं. संभावना है कि इस मिसाइल में परमाणु हथियार न हो. लेकिन कम कण वाले परमाणु हथियार या खतरनाक पारंपरिक हथियार लगाए जा सकते हैं।
इस मिसाइल का वजन 36 हजार किलोमीटर है। इसमें एक साथ 150/300 किटन के 4 हथियार अप्लाई किये जा सकते हैं। यानी ये मिसाइल MIRV तकनीक से लॉन्च हुई है. यानी एक साथ चार समर्थकों पर हमला हो सकता है. यह मिसाइल अवनगार्ड हाइपरसोनिक ग्लाइड ऑज़र को ले जाने में भी सक्षम है। यानी हमला और भी टैगा किया जा सकता है.
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इस मिसाइल की रेंज करीब 6000 किलोमीटर है। यह मिसाइल 24,500 किमी/घंटा की गति से गति से दो तरफ है। यानी इसे रोकना पाना दुनिया के किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम के बस का नहीं है। इसे रोड-मोबाइल लॉन्चर से जोड़ा जा सकता है।
किज़ल मिसाइल को ट्रैक करना, मारना आसान नहीं
इसे ट्रैक करना मुश्किल होता है. बहुत ही बुनियादी रिस्क, मार्क और घातक होता है. यह एयर लॉन्च की गई बॉल्ड स्पेक्टिक मिसाइल (एएलबीएम) की श्रेणी में आती है। आम तौर पर इसे जमीन पर और पानी में चल फिर से या साइट पर रखी गई बातों पर ध्यान दिया जाता है। यह आवाज की गति से 10 गुना छोटी स्पीड में चलती है। यानी 6100 से 12,348 किमी प्रतिघंटा की किताब। इसकी अधिकतर रेंज दो हजार किलोमीटर है।
परमाणु हथियार पर भी हमला किया जा सकता है
किज़ल हाइपरसोनिक मिसाइल में 480 रॉकेट वजन का परमाणु या पारंपरिक हथियार लगाया जा सकता है। इसे डैगर (खंजर) भी कहा जाता है। इसका मतलब खंजर होता है. इससे पहले रूस ने पिछले साल इस मिसाइल का इस्तेमाल दक्षिण-पश्चिमी यूक्रेन के एक अंडरग्राउंड वेयरहाउस में किया था।
रूस के सरकारी मीडिया संस्थान TASS की रिपोर्ट के अनुसार रूस ने अपने हाइपरसोनिक मिसाइल का प्रदर्शन पहली बार साल 2018 में किया था। रूस ने 1941-45 में ग्रेट पैट्रियटिक वॉर की 73वीं वर्षगांठ पर विक्टरी डे परेड में रेड स्क्वायर का चित्रण किया था। उन्होंने इसे अपने मिग-31K लड़ाकू विमान में स्थापित किया है।