ये है रूस का Tu-95MSM स्ट्रैटेजिक बॉम्बर, जिससे रूस ने यूक्रेन के द्निप्रो शहर पर हमला किया.

रूस ने जापान पर हमलों के लिए अपने पुराने बम वर्ष पर भरोसा किया। लेकिन हमलों से पहले रूस ने इस विमान को नया बना दिया. 72 साल पुराने टीयू-95 बमवर्षक को अब स्ट्रैटेजिक बमवर्षक टीयू-95एमएसएम बनाया गया है। इसके बाद अल्ट्रा लार्ज रेंज की क्रूज मिसाइल Kh-101 या पोर्टेबल क्रूजर मिसाइल Kh-102 को भी दागा जा सकता है।

रूस ने इसी बम वर्ष की मदद से जापान के डीनिप्रो शहर पर Kh-101 क्रूज़ मिसाइलें दागीं। इसके पहले इस प्लेन के पुराने संस्करण के माध्यम से सेराटोव में भी मिसाइलें दागी गई थीं।

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रूस के वोल्गोग्राड और एंगेल्स एयरफ़ील्ड से Tu-95MSM स्ट्रैटेजिक बॉम्बर्स ऑपरेट होते हैं। पिछले हमलों में एंगेल्स सेराटोव के लिए यह विमान उड़ाया गया था। रूस का यह एयरक्राफ्ट असल में स्ट्रैटेजिक हैवी फ़्लोरेटर बॉम्बर है। कॉकरोच की बात ये है कि 1952 में उनकी पहली उड़ान हुई थी.

अब तक सिर्फ 500 विमान बने हैं ऐसे

72 साल से यह विमान पहले सोवियत संघ और अब रूस के विमान की मदद कर रहा है। सबसे पहले इस विमान का इस्तेमाल जापानी एयरफोर्स ने भी किया था। परन्तु अब उनके पास ये एक भी नहीं बचा। 1952 से लेकर 1993 तक इस विमान का निर्माण हुआ। कुल मिलाकर इसके चार कलाकार हैं। कुल 500 विमान बनाए गए।

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सोवियत संघ का प्रसिद्ध डिज़ाइन आंद्रेई टुपोलेव ने इसे बनाया था। यह सोवियत संघ का पहला अंतरमहाद्वीपीय बमवर्षक था। यानी एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक जाने वाला विमान। ये एक बार में 15000 किमी की उड़ान भर सकती है.

आइये जानते हैं इसके मूल निवासी…

इसकी जांच के लिए 6-7 लोग होने चाहिए. जिसमें पायलट, को-पायलट, फ्लाइट इंजीनियर, कम्यूनिकेशन सिस्टम गैजेटर, टेल गनर, गैजेट गैजेटर शामिल हैं।

151.7 फीट लंबे हवाई जहाज के पंखों की लंबाई 164.4 फीट है। खाली हवाई जहाज का वजन 90 हजार हजार रहता है। लेकिन टेकऑफ़ का अधिकतम वजन 1.88 लाख लाख होता है। इसमें चार इंजन और 8 ब्लेड वाले कॉन्ट्रा-रोटेटिंग प्रोपेलर लगे होते हैं।

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यह विमान अधिकतम 925 किमी/घंटा की स्पीड से उड़ान भर सकता है। लेकिन आम तौर पर 710 किमी/घंटा की गति से यात्रा होती है। यह मुख्य रूप से 45 हजार फीट की दीवार पर लगाया जा सकता है। यह दुनिया का सबसे महंगा हवाई जहाज है। यानी इसका पता पहले से चल जाता है.

इसके पिछले हिस्सों में रॉकेट गन लगी है

यह हर एक मिनट में 2000 फीट ऊपर जा सकता है। इसमें 23 मिलीमीटर के 2 ग्रियाजेव-शिपुनोव जीएसएस-23 ऑटोकैनन लगे हैं। सबसे खास बात यह है कि इसके पीछे टेल की तरफ ऑटोकैनन लगा होता है। यानि पीछे से इस पर हमला करना मुश्किल है। टेल गनर पीछे से आने वाले नवीनतम की धज्जियां उड़ेंगे।

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दुश्मनों पर हमला करने के लिए इस विमान में 15 हज़ार तक के बम या मिसाइल या बोटी बम लगाए जा सकते हैं। जैसे- Kh-20, Kh-22, Kh-55/101/102 या 8 Kh-101/102 क्रूज़ मिसाइलें। वैंक्व अंडरविंग पायलॉन में अनुमान लगाया जाता है।

अब जानते हैं Kh-101 क्रूज़ मिसाइलों की ताकतें

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यह रूस की एक सबसोनिक क्रूज मिसाइल है। 2010 से रूस के स्टोव का उपयोग किया जा रहा है। 2400 किलोमीटर वजन वाली इस मिसाइल की रेंज 3500 किलोमीटर है। यह मुख्य रूप से 964 किमी/घंटा की स्पीड से उड़ान भरती है। 24.5 फीट लंबे इस मिसाइल में पारंपरिक हथियार शामिल हैं। हालाँकि इसके मूल संस्करण अर्थात Kh-102 में परमाणु हथियार भी लगाए जा सकते हैं। रूस इस क्रूज़ मिसाइल को Tu-95MSM या Tu-160 बम वर्ष से संबंधित है।

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